Best Startup ideas for Electric Vehicle Industry that will Grow 10x Faster | 90% growth in Business

 मित्रों, आज मुझे एक चीज़ रिलाइज हुई जब मैं मार्केट जा रहा था, पैदल की मैं गाड़ी क्यों नहीं लाया साथ में और तब मुझे रियललाइज हुआ की हम कितने डिपेंडेंट है व्हीकल्स के ऊपर और उससे भी मज़े की बात ये डिपेंडेंसी तब तक काम करेगी जब तक आपके पास ईंधन है लेकिन उसके बाद आपको सहारा लेना पड़ेगा इलेक्ट्रिक वीइकल्स का जो की आप चालू हो गया है और बजट ट्वेंटी ट्वेंटी टू में ईवी सेक्टर पे भी ध्यान रखा गया है तो ये बात तो साफ है? भैया ईवी सेक्टर आगे जाके बूम लाने वाला है इंडस्ट्री के अंदर फैसला सैमसंग शाओमी हुआवई जैसी कंपनीज भी ईवी सेक्टर में इंडिया के अंदर पैरेट करने की कोशीश कर रही है लेकिन क्या हमें इसकी जरूरत है क्या इंडिया तै प्रेस के लिए और ऐसे कुछ यूनीक आइडियाज़ मैं आपको बताऊँगा जो आप ईवी सेक्टर में इम्प्लिमेंट कर सकते हैं.

आपका भैया बिज़नेस चालू करने से पहले हमें जानकारी होनी चाहिए की हम क्यों कर रहे हैं? ये बिज़नेस क्यों ईवी सेक्टर रिक्वायर्ड है इंडिया के अंदर हम अवेयर है ग्रीन हाउस इफेक्ट से जो की डाइरेक्टली क्लाइमेट चेंज पे असर करता है और यही इफेक्ट सबसे ज्यादा लाता है मोटर वेहिकल्स अपनी गैस इमोशन्स के साथ ठीक है यार ये तो हम बचपन से पढ़ते आ रहे और हमें यह भी पता चल गया कि ईवी ही एकमात्र ऑप्शन है लेकिन उसके अलावा ये इको फ्रेंडली है हम जानते हैं हाइ पेशेंट लो कॉस्ट लो मेंटेनेंस और सेफ्टी ड्राइव है, लेकिन इंडिया इसके लिए तैयार है की नहीं? हम करंट सिचूऐशन जानते हैं पैन्डेमिक की, जिससे हमारी कोने भी बहुत बड़ा असर पड़ा है और इसी की वजह से ईवी सेक्टर की मैन्युफैक्चरिंग को एक बूस्ट मिला आपको जानकर हैरानी होगी लॉकडाउन के पहले मोटर व्हीकल का जो कन्सम्शन था वो एटी फाइव परसेंट था यानी हर दस में से छह लोग आपके आस पास कुछ ना कुछ मोटर व्हीकल खरीदते थे और जैसे लोग दान आया वो आंकड़ा गिर गया सीधा थर्टी टू परसेंट से भी नीचे और उसी वक्त फैसला ने अनाउंस किया कि हम इंडिया में इलेक्ट्रिक कार का प्रोडक्शन मैन्युफैक्चरिंग बनाना चाहते हैं और इससे बूस्ट मिला हमारे इंडियन स्टार्टअप्स को उन्हें पता चला कि इलेक्ट्रिक वीइकल्स की मांग बढ़ने वाली है क्योंकि लोगों ने भैया एक साल से खरीदे ही नहीं है और उसी वक्त लोग अवेयर भी हो गए की एनवायरनमेंट इश्यू से क्या क्या हो सकता है तो इस

 सेक्टर को और ज्यादा बूस्ट मिला और बजे ट्वेंटी ट्वेंटी टू में ये बात साफ हो गई कि इस सेक्टर की तरह अब गवर्नमेंट भी देख रही है अब आइडियाज़ की हम बात करें तो ज्यादा तर वीडियो में आपको यह देखने को मिलेगा की यार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाओ, डीलर्स के साथ अपने फ्रेंचाइज़ खोल सकते हैं, चार्जिंग स्टेशन बनाओ, बैटरीज स्वैप और बैटिंग स्क्रैप बनाओ की ताकि भैया बैटरी खत्म हो जाए तो दूसरी बैटरी जल्दी से हमला सके एक दम वैसे ही जैसे कैमरास की बैटरी काम करती है आप एक को चार्ज करने के लिए रख देते हैं और एक को इस्तेमाल करते हैं ठीक है यार ये तो है जरूर है और यह पहली जरूरत भी रहेंगी लेकिन हम जानते हैं कि ये सब जानते हैं आपको इससे हटकर सोचना पड़ेगा तो उसी का जवाब ये वीडियो है चालू करते हैं अपने वीडियो को टॉप सिक्स से देखो ये सबसे बेसिक लेवल से हम शुरुआत करते हैं फ्लाइट ऑपरेशन अब ये क्या चीज़ है? ईवी सेक्टर के अंदर आप में से बहुत लोग ये नहीं जानते होंगे कि ईवी सेक्टर का जो कनेक्शन है वो टूरिज़म और एविएशन से बहुत ज्यादा जुड़ा हुआ है उसमें से निकल के आते ही ये टर्म फ्लाइट ऑपरेशन्स अगर मैं आसान भाषा में बोलू तो बेड़ा उठाना एग्जाम्पल के तौर पे एक बाइक को एक इलेक्ट्रिक बाइक कंपनी है एक रेंटल कंपनी है जिसने रेंज के हैं तीन, लाख डॉलर और उसमें से उन्होंने बिल के लिए दो लाख की बाइक फ्लैट के ऊपर सौ से ज्यादा इंडियन सिटीज के अंदर यहाँ पर मैट्रिक्स के हिसाब से फ्री दी जाती है यानी दो वॉट फ्री टूरिस्ट रेंटल्स के लिए कमर्शियल यूज़ के लिए या होम डिलिवरी के लिए आप रेट कर सकते हैं.

20 sec

 

अपने ई व्हीकल को ये तीन वोट फ्लैट के लिए आप कार्गों डिलिवरी, लास्ट माइल डिलिवरी, स्मॉल स्केल कार्गों ये सब डेलिवर कर सकते हैं और बाकी फ़ोर अवर्स प्लस फ्री पैसेंजर टैक्स के लिए तो इसकी एक रेंटल सर्विसेज चालू हो चुकी है कुछ अगर मैं एग्ज़ैम्पल दूँ आपको स्टार्टअप्स के तो गति स्मार्ट ई, ब्लू, स्मार्ट, लीथियम अर्बन जूमकार ये कुछ ऐसे एग्ज़ैम्पल है आप जरूर इसको चेक आउट कर सकते हैं पांचवें नंबर पर आता है हमारा रेट्रोफिटिंग अगर रिपोर्ट की मानें तो दो हज़ार चालीस वो साल होगा जहाँ पर हमारी सारी पेट्रोल गाड़ियां ये लगभग सिक्स्टीन एक परसेंट से ज्यादा पेट्रोल और डीजल गाड़ियां कन्वर्ट? किए जाएंगे ईवी सेक्टर के अंदर और बहुत से स्टार्टअप इसपे अभी ये काम करने लगे हैं जिसकों इसका प्रोसेसर का नाम मिलता है रेट्रोफिटिंग स्टार्टअप प्रोवाइड करते है ऐसी सर्विसेज जहाँ पर आइसीटी व्हीकल्स को इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वीइकल्स में कन्वर्ट किया जाता है एग्जाम्पल के तौर पर भी ड्राइव जो कि एक हैदराबाद की कंपनी और भारत में भी जो कि दिल्ली में है और रिपोर्ट यह कहती है लगभग चौबीस प्रतिशत की ग्रोथ मिल सकती है रेट्रोफिटिंग सेक्टर के अंदर तो आप क्या सोचते हैं रेट्रोफिटिंग के बारे में जरूर कमेंट बॉक्स में बताएगा लेकिन आखिरी के जो तीन स्टार्टअप है उसके लिए जरूर रखिएगा तो आपके बहुत काम आने वाले हैं लेकिन खैर बढ़ते अपने नंबर चार की तरफ नंबर चार पे आता है दोस्तों इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का सॉफ्टवेयर हम उस जमाने में जी रहे हैं जहाँ पर टेस्ला की कार पी एस फाइव से कंट्रोल किया जा सकता है और मज़े की बात तो ये हैं इंडियन ईवी सेक्टर में फॉर्टी टू पर स्टार्टअप ऐसे हैं जो सॉफ्टवेयर से नहीं काम करते है वो थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर की मदद लेते हैं जानने के लिए की उनकी गाड़ी कितनी चली है कि इतनी नहीं चली है कितनी बैटरी आपकी खर्च हुए दो किलोमीटर के अंदर कितनी बैटरी चल सकती है आगे चौबीस घंटे के अंदर तो इन तरीके के सॉफ्टवेयर की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ने वाली है.

क्योंकि जो ऑफिशल मैनुफैक्चर्स होते हैं वो मैन्युफैक्चर ध्यान लगाते ना कि सॉफ्टवेयर पे और ईवी सेक्टर एक ऐसा सेक्टर है जहाँ पर आप इस चीज़ को बड़ी आसानी से इम्प्लिमेंट कर सकते हैं मशीन लर्निंग और एआई की बदौलत प्यार ज़माना बहुत आगे बढ़ गया है प्रणव मिस्त्री इनविजिबल माउस बना रहे हैं और सिक्स्थ सेंस पे काम कर रहे हैं ऊपर आए बैठक में मैंने बताया उनके बारे में उसको देखके जाये तो ये तो हम कर ही सकते है वैसे अगर कोई ऐसा सॉफ्टवेयर है, थर्ड पार्टी तो जरूर कमेंट बॉक्स में बताइए गा वैसे हमने ढूँढ निकाला है तो हमे मिला है बॉस जो कि ऑफर करता है बी टू बी सेंस प्लेटफॉर्म ई इनफ्रास्ट्रक्चर के लिए इस आइडिया की डिमांड इसलिए भी बढ़ सकती है क्योंकि यहाँ पर आप लोगो के माइंड से खेलेंगे, उनकी क्यूरियोसिटी से खेलेंगे और आपको बड़ी आसानी से वही कल परफॉर्मेंस और उसके ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में भी अच्छे से पता पड़ जाएगा वैसे एक कंपनी है जो कि उनका सॉफ्टवेयर ये बता सकता है कि आपके ई व्हीकल में कौन से पार्ट में दिक्कत है तो उसका कमेंट बॉक्स में जरूर बताएगा ना वैसे ये भी एक आइडिया है खैर, बढ़ते अपने नंबर तीन की तरफ तीसरे नंबर पर आता है होम चार्जिंग स्टेशन सर्वे की मानें तो साठ प्रतिशत भारतीय दो हज़ार अट्ठाईस तक कोशीश करेंगे की वो अपनी ईवी सेक्टर को घर पर ही चार्ज करें यानी की चार्जिंग स्टेशंस की यहाँ पर इन्स्ट्रक्शन लग सकती है कस्टमर एरिया में मार्केट के अंदर वैसे आपका मेन मोटिव चार्जिंग स्टेशन ही होना चाहिए लेकिन होम चार्जिंग स्टेशन उन लोगों के लिए भी अपॉर्चुनिटी खोल देगा जो कि चार्जिंग स्टेशन पे नहीं जाना चाहते हैं जो कि अपनी बिजली से चार्ज करना चाहते हैं तो आप उन्हें एक सर्विस प्रोवाइड कर सकते हैं, जहाँ पर आप के घर के बाहर ही वो चार्जिंग पॉइंट लगा दे सुनने में काफी डिफिकल्ट लग रहा है लेकिन आपके घर के बाहर जो गैस पाइप लाइन लगी है तो कभी आपने सोचा था की वो लगेंगी तो? यही है फायदा ईवी सेक्टर का और मुझे ये लगता है कि दो हज़ार अट्ठाईस तक ये चार्जिंग स्टेशन घर के बाहर लगे होंगे और इसका भी रेंट आपको देना पड़ेगा.

वैसे इसका इनवर्स रिलेशनशिप भी है आप एक ऐसा स्टार्टअप खोल सकते हैं जहाँ पर आप लैंड प्रोवाइड कर सकते हैं होम चार्जिंग स्टेशंस के लिए तो यहाँ पर आपको रेंट मिलता रहेगा एक दम वैसे ही जैसे मोबाइल टावर्स में ऐडवर्टाइजमेंट लगाने की आपको पैसे मिलते है अगर आपके घर के ऊपर लगाओ खैर ये कोई बिज़नेस नहीं हुआ ये एक सोर्स ऑफ इनकम हुआ, लेकिन मेरा फर्स्ट आपको बताना बढ़ते नंबर दो की तरफ आप देखो, हम जानते हैं कि बैट्री स्वैपिंग और बैटरी स्क्रैपिंग काम करेंगी जरूर करेंगे, मना नहीं कर रहा हूँ लेकिन बैटरी चार्जिंग में भी बैटरी लगती है यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को चार्ज करने के लिए भी इलेक्ट्रिसिटी लगेंगी और फिर वही सिचुएशन आ जाएगी जो हम पेट्रोल के साथ देख रहे हैं तो वहाँ काम करती है सोलर इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग यानी सोलर एनर्जी से आप व्हीकल चार्ज करने की सर्विस प्रोवाइड कर सकते हैं और मैं पहले बता दू ये कोस्टली होगा और सोलर चार्जिंग स्टेशन की मांग भी उतनी ही बढ़ेगी क्योंकि सरकार भी यही चाहती है कि पर्यावरण को नुकसान ना हो और सोलर एनर्जी से चार्ज करना एक मैक्स चेंजिंग एम होगा आज हम बात कर रहे मोबाइल को सोलर पैनल से चार्ज करने की तो ये चार्जिंग स्टेशन और इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग के कॉम्बिनेशन

 से हम अपनी डिपेंडेंसी कम कर सकते हैं फॉसिल फ्यूल्स के ऊपर वैसे ये आई डी पसंद आया तो एक लाइन जरूर बनता है वैसे टॉप वन पे एक मैन्यूफैक्चरिंग आइडिया है और मज़े की बात तो ये है बैटरीज रिसाइकेबल नहीं होती बहुत सी बैटरीज नहीं होती लिथियम आयन बैटरी को बहुत डिफिकल्ट होता है, रिसाइकल करना है तो आप नैचरल बैटरी क्यों नहीं बनाते? एलोवेरा से अगर कार और ई व्हीकल्स की बैटरी भी एलोवेरा से बन सकती है तो कि हम लीथियम आयन का यूज़ करेंगे और मज़े की बात तो ये है एलोवेरा या नेचुरल बैटरी ज्यादा एफिशिएंट होती है कम कॉस्ट में लगती है और एकदम नैचरल होती है रिसाइकेबल होती है लिथियम आयन बैटरी से तो आप उसको मैनुफैक्चर कर सकते हैं वैसे कंपनी का नाम बताओ तो लोइसेल है जो इन बैटरीज का इस्तेमाल करते हैं.